Thursday 22 August 2024

उत्तराखंड में विधायकों की मौज ही मौज, भत्ते और सुविधाओं में हुई बढ़ोतरी, विदेशों में इलाज भी फ्री




देहरादून: सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट एक अप्रैल 2022 से लागू होने की संभावना है। इसमें यह प्रावधान शामिल है कि विधानसभा के वर्तमान या पूर्व सदस्य एम्स की सिफारिश पर विदेश में उपचार करा सकेंगे।

उत्तराखंड में विधायकों की भत्तों और चिकित्सा सुविधाओं में बढ़ोतरी की तैयारी हो रही है। विधायक, पूर्व विधायक और उनके आश्रितों को अब कैशलेस इलाज की सुविधा देने की योजना बनाई जा रही है, जिसमें उन्हें सरकारी खर्च पर विदेश में भी उपचार की सुविधा मिलेगी। बुधवार को सरकार ने सदन में तदर्थ समिति की रिपोर्ट पेश की जिसमें विधायकों की कुछ सुविधाओं को बढ़ाने की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट के अनुसार यह प्रावधान एक अप्रैल 2022 से लागू होगा। इसमें यह व्यवस्था की गई है कि वर्तमान या पूर्व विधानसभा सदस्य, एम्स की सिफारिश पर विदेश में इलाज करवा सकेंगे।

भत्तों में 30 हजार रुपये तक इजाफा

सूत्रों के अनुसार तदर्थ समिति की रिपोर्ट में विधायकों के कुछ भत्तों को संशोधित भी किया गया है। इनमें तीस हजार रुपये तक का इजाफा किया गया है। 30 हजार रुपये तक प्रतिमाह की सीमा तक डीजल-पेट्रोल खर्च के लिए नकद मिलेंगे।

विधायकों की सुविधाओं में संशोधन के लिए विधानसभा की तदर्थ समिति ने कुछ संस्तुतियां की थी। इनमें से कुछ को स्वीकार करते हुए रिपोर्ट को सदन में रख दिया गया है। अब इसका ऐक्ट बनाया जाएगा।
प्रेमचंद अग्रवाल, संसदीय कार्य मंत्री

सरकारी कर्मचारियों की तरह बनेगा गोल्डन कार्ड

साथ ही उन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह कैशलेस इलाज की सुविधा यानी गोल्डन कार्ड भी दी जाएगी। इसके तहत उन्हें प्रदेश के प्रमुख अस्पतालों और दिल्ली के फोर्टिस, राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर और एम्स दिल्ली में भी उपचार की सुविधा मिलेगी। स्वयं उपचार कराने पर चिकित्सा खर्च की प्रतिपूर्ति की सुविधा भी बहाल रहेगी। तदर्थ समिति ने विभिन्न राज्यों का अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए विभिन्न श्रेणियों में वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाएं बढ़ाने की सिफारिश की गई। संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि समिति की केवल व्यवहारिक सिफारिशों को स्वीकार किया गया है, जबकि कई अन्य सिफारिशों को निरस्त कर दिया गया।

रिपोर्ट सदन में पेश जल्द बनेगा एक्ट

सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में विधायकों के कुछ भत्तों में संशोधन भी किया गया है, जिसमें तीस हजार रुपये तक की वृद्धि शामिल है। अब विधायकों को डीजल-पेट्रोल खर्च के लिए प्रतिमाह 30 हजार रुपये तक नकद राशि मिलेगी। विधायकों की सुविधाओं में संशोधन के लिए तदर्थ समिति ने कुछ सिफारिशें की थीं, जिनमें से कुछ को स्वीकार करते हुए रिपोर्ट को सदन में पेश किया गया है। अब इसे कानून का रूप दिया जाएगा।

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सदन में पेश हुआ पांच हजार करोड़ का अनुपूरक बजट, आठ विधेयक भी आए

सत्र के दूसरे सदन में आठ विधेयक हुए पेश

1-उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916) संशोधन विधेयक 2024
2-उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959) संशोधन विधेयक 2024
3-उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक 2024
4-उत्तराखंड राज्य विधानसभा विविध संशोधन विधेयक 2024
5-उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) संशोधन विधेयक
6-उत्तराखंड राज्य क्रीड़ा विश्वविद्यालय विधेयक 2024
7-उत्तराखंड कामगार और सुधारात्मक सेवाएं विधेयक 2024
8-विनियोग विधेयक 2024

विपक्ष ने उठाया सवाल, सत्र की अवधि कम क्यों ?
विधानसभा सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने सदन में सत्र की अवधि कम होने का मुद्दा उठाया। विपक्ष ने एक शोध रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि देश भर में उत्तराखंड विधानसभा की सबसे कम अवधि है। प्रदेश सरकार ने कहा, सदन को संचालित करने के लिए बिजनेस के आधार पर सत्र की अवधि तय की जाती है।

मंगलौर विधानसभा से कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने सदन में सत्र की अवधि को लेकर व्यवस्था का प्रश्न उठाया। विपक्ष ने विस कार्य संचालन नियमावली और देश के विधानसभाओं पर शोध पत्र का हवाला देते हुए सरकार से सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग की।

विपक्ष ने कहा, 2022 से 2024 तक विस सत्र मात्र 22 दिन चला है। 2017 से 2023 तक देश की विधानसभाओं का सत्र अवधि का औसत 22 दिन है, जबकि उत्तराखंड औसत 12 दिन है। सत्र को भी एक दिन में बिना चर्चा के पारित किया जाता है। पिछले तीन साल में कभी भी सोमवार का दिन नहीं आया, जिसमें मुख्यमंत्री से संबंधित विभागों के मुद्दों पर जवाब मिल सके।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा, सरकार नहीं चाहती कि सत्र की अवधि बढ़ा कर सवालों का जवाब दे। विपक्ष की भूमिका सदन चलाने की है, लेकिन सरकार नियमों का ताक पर सदन को चलाना चाहती है। संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा, सदन को चलाने के लिए बिजनेस के आधार सत्र की अवधि तय की जाती है। सरकार भी चाहती है कि सदन की कार्यवाही चले।

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