Tuesday 22 October 2024

प्रेरणा स्रोत कार्य


 सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती, हर व्यक्ति में क्षमता होती है, चाहे वह कितनी भी उम्र का क्यों न हो। उम्र किस किसी भी पड़ाव में सपनों को पूरा किया जा सकता है।

देहरादून: प्रदीप रावत जो देहरादून के मुख्य शिक्षा अधिकारी हैं, उन्होंने यूजीसी नेट परीक्षा पास कर एक प्रेरणादायक मिसाल पेश की है। व्यस्तता के बावजूद हर दिन दो से तीन घंटे पढ़ाई का समय निकाला। उनका यह संदेश है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती।

प्रदीप रावत ने एक वर्ष बाद सेवानिवृत्त होने से पहले यूजीसी नेट परीक्षा पास कर एक प्रेरणादायक मिसाल कायम की है। उन्होंने इस वर्ष 21 अगस्त से 5 सितंबर के बीच आयोजित परीक्षा में भाग लिया। लैंसडौन विधायक महंत दिलीप रावत उनके छोटे भाई हैं। पिछले 36 वर्षों में शिक्षा विभाग में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहने के बाद, वह वर्तमान में देहरादून जनपद के 1,209 राजकीय विद्यालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इसके अलावा वह शिक्षकों और विभाग के कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान भी करते हैं।

प्रतिदिन दो से तीन घंटे करते थे पढ़ाई
प्रदीप रावत ने इतनी व्यस्तता के बावजूद हर दिन दो से तीन घंटे अध्ययन करने का समय निकाला। उन्होंने यूजीसी नेट की परीक्षा किसी नौकरी के लिए नहीं, बल्कि यह संदेश देने के लिए दी है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। उनका मानना है कि शिक्षकों को पूरी जिंदगी अध्ययन करना चाहिए ताकि वे अपने छात्रों को बेहतर तरीके से पढ़ा सकें। वह जीवनभर अध्ययन के प्रति समर्पित रहना चाहते हैं और युवा पीढ़ी के साथ प्रतिस्पर्धा करने का जज्बा रखते हैं।

शिक्षा के प्रति समर्पण का उदाहरण
प्रदीप रावत जो कि मूलरूप से पौड़ी जिले के कोटद्वार निवासी हैं, उन्होंने 1988 में भौतिक विज्ञान से एमएससी करने के बाद शिक्षक के रूप में करियर की शुरुआत की। 1999 में कमीशन प्राप्त करने के बाद उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिसमें उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद में संयुक्त सचिव और एनआइओएस के क्षेत्रीय निदेशक शामिल हैं। पिछले दो वर्षों से देहरादून के मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) के रूप में कार्यरत प्रदीप ने एमएससी के बाद दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान से भी स्नातकोत्तर किया है जो उनके अध्ययन के प्रति गहरे लगाव को दर्शाता है।

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