Thursday 22 August 2024

उत्तराखण्ड:प्रधानाचार्य की कमी दूर करने के लिए सरकार ने शुरू की नई व्यवस्था, अब एलटी शिक्षक और प्रवक्ता सीधे बन सकेंगे प्रिंसिपल

 


प्रदेश में अब एलटी शिक्षक और प्रवक्ता सीधे प्रधानाचार्य बन सकेंगे। राज्य के इंटरमीडिएट विद्यालयों में प्रधानाचार्यों की कमी को देखते हुए सरकार यह नई व्यवस्था बनाने जा रही है। निर्धारित समय अवधि की सेवा पूरी कर चुके शिक्षकों का स्क्रीनिंग टेस्ट के जरिये चयन किया जाएगा। इसके लिए 40 से 45 वर्ष की उम्र के शिक्षकों को मौका देने पर जोर रहेगा। इसके लिए सेवा नियमावली में भी बदलाव किया जाएगा

इंटरमीडिएट विद्यालयों में प्रधानाचार्यों की भारी कमी है। इनके पद पर पदोन्नति के माध्यम से ही तैनाती की जाती है। न्यूनतम पांच वर्ष तक प्रधानाध्यापक पद पर कार्य करने वाले ही इस पद की डीपीसी में शामिल होने की अर्हता रखते हैं। लेकिन, इसके पात्र प्रधानाध्यापकों की संख्या बेहद कम है। इसके चलते करीब 1300 में से करीब 500 विद्यालय बिना नियमित प्रधानाचार्य के चल रहे हैं।

मौजूदा व्यवस्था में ज्यादातर प्रधानाध्यापक 50-55 साल की उम्र के बाद प्रधानाचार्य बनते हैं। ऐसे में उनके पास काम करने के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं रहता। इन सब दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने सीधे एलटी शिक्षकों और प्रवक्ताओं को प्रधानाचार्य बनने का मौका देने का फैसला लिया है। स्क्रीनिंग टेस्ट के जरिये रिक्त पदों के सापेक्ष प्रधानाचार्यों का चयन किया जाएगा। यह स्क्रीनिंग टेस्ट लोक सेवा आयोग के जरिए कराया जाएगा।

40-45 साल के शिक्षकों पर फोकस

प्रदेश सरकार का फोकस 40 से 45 वर्ष के ऐसे शिक्षकों पर है जिनके अंदर नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमता है। उनकी प्रबंधन, नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमता को बेहतर बनाने के लिए आईआईएम काशीपुर समेत अन्य संस्थानों से प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा। ऐसे शिक्षकों के पास इस पद पर काम करने के लिए 15 से 20 साल का समय होगा। 

सीधी भर्ती की व्यवस्था नहीं
55 प्रतिशत एलटी शिक्षक और 45 प्रतिशत प्रवक्ता पदोन्नति के बाद प्रधानाध्यापक बनते हैं। प्रधानाध्यापक पद पर पांच वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद वह प्रधानाचार्य पद की डीपीसी में शामिल होने के अर्ह हो जाते हैं। प्रधानाचार्य पद पर अभी सीधी भर्ती की कोई व्यवस्था नहीं है। 7600 ग्रेड पे का पद होने के कारण लोक सेवा आयोग भी इस पर भर्ती नहीं कर सकता है। 

पहले भी हो चुके हैं कई प्रयोग

प्रधानाचार्य की कमी दूर करने के सरकार ने पहले भी कई प्रयोग किए हैं। इनकी पांच साल की सेवा में शिथिलीकरण देते हुए सरकार ने ढाई साल की सेवा के बाद ही प्रधानाचार्य बना दिए। वहीं, पिछली सरकार ने तदर्थ प्रधानाचार्य भी बनाए। सरकार ने पांच साल से पहले ही सभी प्रधानाध्यापकों को प्रधानाचार्य बना दिया। अब वह 7600 ग्रेड पे तो ले रहे हैं, लेकिन नियमित प्रधानाचार्य नहीं हैं। 

प्रधानाचार्य का पद किसी भी विद्यालय के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अगर स्थायी प्रधानाचार्य नहीं होगा तो बहुत से काम प्रभावित होते हैं। शिक्षा की गुणवत्ता समेत अन्य बिंदुओं पर बेहतर काम करने के लिए प्रधानाचार्यों के पद भरने पर इस समय फोकस है। उन्हें बेहतर प्रशिक्षण देकर 15 से 20 साल तक काम करने का अवसर दिया जाएगा। तभी वह अच्छे परिणाम दे सकेंगे। 

- डा. आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव, शिक्षा 

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