देहरादून। सरकार राजकीय शिक्षकों के प्रति दुराग्रह रखती है। उनकी न्यायोचित मांगों पर गौर करने को तैयार नहीं है। ये राजकीय शिक्षकों की धैर्य की परीक्षा लेना जैसा है। राजकीय शिक्षकों का धैर्य अब जवाब देने लगा है।
ये कहना है राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान का। प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि सरकार लगातार शिक्षकों के प्रति दुराग्रह रखकर कार्य कर रही है। विगत दो वर्षों से संगठन शत प्रतिशत पदोन्नति ,प्रधानाचार्य विभागीय सीधी भर्ती का निरस्तीकरण एवं स्थानांतरण तथा 34 सूत्रीय मांग पत्र पर 18 अगस्त से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार द्वारा इसका संज्ञान ना लिया जाना शिक्षकों के प्रति सरकार का रवैया बताने के लिए काफी है। शिक्षा और छात्र हित को देखते हुए भी कोई निर्णय न लिया जाना यह सरकार की हद्धार्मिता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार पूरे सेवा काल में तीन पदोन्नति की बात करती है वहीं शिक्षकों को 30एव 35 वर्षों तक एक भी पदोन्नति न होना दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है।
चौहान ने कहा शिक्षक पूरे मनोयोग से अपने मूल कार्य के साथ ही तमाम शिक्षणेत्तर कार्यों जनगणना, भवन गणना, निर्वाचन कार्य ,आर्थिक गणना, बाल गणना को जिम्मेदारी के साथ अंजाम देते हैं। बदले में सरकार शिक्षकों को एक अदद प्रमोशन के लिए भी तरसा रही है। कहा कि राजकीय शिक्षकों के प्रति सरकार की इतनी उदासीनता शिक्षकों को आंदोलन के लिए मजबूर करती है।
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री रमेश चंद्र पैन्यूली ने स्पष्ट रूप से बताया कि विगत दो वर्षों में सरकार शासन विभाग हर स्तर पर संगठन कई दौर की वार्ता कर चुका है परंतु परिणाम शून्य है वर्तमान में छात्र हित को देखते हुए संगठन ने निर्णय लिया है कि शिक्षण के अलावा शिक्षक और कोई भी कार्य नहीं करेंगे जैसे कीड़ा प्रतियोगिताएं विद्यालय से बाहर की विज्ञान प्रतियोगिताएं विद्यालय से बाहर की, बी एल ओ, किसी भी प्रकार के प्रशिक्षण का बहिष्कार करेंगे मात्र विद्यालय में उपस्थित रहकर शिक्षण का कार्य करेंगे।
सभी प्रभारी प्रधानाचार्य अपना प्रभार त्याग कर सभी प्रकार के डाक भेजना सूचनाओं भेजना विद्या समीक्षा केंद्र की उपस्थिति भेजना कोई भी कार्य नहीं करेंगे छात्र हित में मात्र शिक्षण कार्य करेंगे इसके अतिरिक्त और कोई भी कार्य नहीं करेंगे सरकार अगर शिक्षकों की पदोन्नति नहीं करती है उक्त तीनों मांगों पर एवं 34 सूत्रीय मांग पत्र पर कार्यवाही नहीं होती है तो शिक्षक सितंबर में ही मुख्यमंत्री आवास का घेराव सचिवालय का घेराव एवं हरिद्वार में प्रधानाचार्य विभागीय सीधी भर्ती नियमावली का विरोध हेतु तर्पण भी करेंगे।
सरकार का बार-बार या कहना कि शिक्षक कोर्ट केस वापस लंेगे तो पदोन्नति तत्काल होगी जबकि न्यायालय में जाना हर व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है जो कि विभाग के द्वारा अनियमितताएं की गई हैं, उन्हें ठीक नहीं किया गया है। कई चेतावनी देने के बाद भी विभाग नहीं माना तो शिक्षक मजबूरी में न्यायालय गए हैं अगर सरकार अपने किए गए गलत ठीक कर देता है तो पदोन्नतियां स्वत ही हो जाएंगे या सरकार माननीय न्यायालय के निर्णय के अधीन अन्य विभागों की भांति पदोन्नति कर सकता है।
पैन्यूली ने कहा कि पूर्व में भी ऐसा होता रहा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया प्रभारी प्रणय बहुगुणा ,गढ़वाल मंडल अध्यक्ष श्याम सिंह सरियाल, जिला अध्यक्ष देहरादून कुलदीप सिंह कंडारी, जिला मंत्री देहरादून अर्जुन सिंह पवार उपस्थित रहे।

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