देहरादून। राज्य के सरकारी स्कूलों में सात अक्तूबर को गढ़भोज दिवस मनाया जाएगा। इसमें मिड-डे-मील में छात्र/छात्राओं की खाणी पेणी और चखल पखल में गढ़वाली व्यंजनों परसो जाएंगे।
पिछले तीन सालों से राज्य में सात अक्तूबर को बढ़भोज दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के माध्यम से राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों की कृषि उपज से लेकर गढ़ व्यंजनों को प्रमोट किया जाता है। बहरहाल, सात अक्तूबर को राज्य के सभी सरकारी स्कूलों गढ़भोज का आयोजन किया जाएगा।
इसके तहत गढ़भोज को लेकर जन जागरूकता रैली, गढ़भोज से निरोगी काया विषय पर निबंध एवं वाद विवाद प्रतियोगिता। स्कूली छात्र/छात्राएं परंपरागत व्यंजनों के बारे में जानकारी एकत्रित करंगे। गढ़भोज से संबंधित नवाचारी गतिविधियां,
वर्ष 2000 में जब उत्तराखंड बना तो पारंपरिक पहाड़ी भोजन के स्वाद और उच्च पोषण गुणों पर अपने दृढ़ विश्वास के कारण सेमवाल ने ‘‘गढ़ भोज’’ के नाम से पहाड़ों के व्यंजनों से बनी एक विशिष्ट उत्तराखंडी ‘थाली’ को लोकप्रिय बनाने का अभियान शुरू किया।
इसके दो मकसद थे – लोगों में उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन का स्वाद विकसित करने में मदद कर राज्य की संस्कृति को जिंदा रखना और स्थानीय फसलों विशेषकर बाजरे जैसे मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देना।
करीब 23 साल बाद सेमवाल को इसमें थोड़ी-बहुत सफलता मिली क्योंकि कोदो, झंगोर, मंड़ुआ और राज्य बहुतायत में उगाए जाने वाले इन अनाजों से बने पकवान समूचे राज्य में सरकारी स्कूलों में सप्ताह में कम से कम एक बार मध्याह्न भोजन के रूप में परोसा जा रहा है।
No comments:
Post a Comment