स्कूली शिक्षा में शिक्षकों के एलटी कैडर का कोई पूछने वाला नहीं है। इस कैडर में सीधी भर्ती वाले शिक्षकों के प्रमोशन मुश्किल हो रहा है और कोटे के चलते पद भी सिमट रहे हैं।
1972/73 से पूर्व इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता पद नहीं होता था। एलटी पद में ही सीनियर/ जूनियर शिक्षक होते थे। प्रबंधकीय स्कूलों में प्रमोशन के मौके कम होने के चलते प्रवक्ता पद सृजित हुआ और गवर्नमेंट इंटर कॉलेजों में भी लागू हो गया। इसके चलते इंटर कॉलेजों में सीटी, एलटी और प्रवक्ता तीन कैडर बन गए। तब सरकारी स्कूलों के एलटी शिक्षक डीआईओएस और आरआईजीएस तक बनें।
1991 में सीटी कैडर को समाप्त किया गया। जिन तर्कों के साथ सीटी कैडर समाप्त हुआ अब कुछ कुछ वैसा ही एलटी कैडर के साथ भी होने लगा है। कहने को तो एलटी और प्रवक्ता का प्रमोशन का पद हाई स्कूल का हेडमास्टर है। मगर, सरकार ने प्रधानाचार्य सीधी भर्ती के लिए सिर्फ प्रवक्ता को ही अर्ह माना। इस तरह से एलटी कैडर में प्रमोशन के मौके अब धुंधले होने लगे हैं। प्रवक्ता पद पर विषयगत लाभ को सरकार, शिक्षा विभाग और अब शिक्षक भी प्रमोशन प्रचारित कर रहे है। सच ये है कि एलटी से प्रवक्ता प्रमोशन नहीं है।
इस तरह से हेडमास्टर पद पर एलटी के 55 प्रतिशत कोटा फिलहाल तकनीकी पेंच में फंसा हुआ है। इससे इत्तर एलटी मूल पद में ही अब तमाम झोल आ गए हैं। बेसिक के कोटे से एलटी सीधी भर्ती के पद सिमट गए हैं। मृतक आश्रितों को भी अब एलटी में नियुक्ति मिलने लगी है। इससे एलटी में तमाम प्रकार की तकनीकी परेशानियों भी आ रही हैं। एलटी महिला शाखा में सीधी भर्ती के पद एक तरह से समाप्त हो रहे हैं। इस तरह से शिक्षकों का एलटी कैडर एक तरह से संकट में आने लगा है। ठीक वैसे ही जैसे सीटी कैडर आया था।
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