फाउंडेशन स्टेज
ये एक बेसिक स्टेज है। इसमें बच्चा प्री- प्राइमरी को कवर करते हुए क्लास दो तक पहुंचेगा। खेल-खेल में बच्चे को व्यवहार, शिष्टाचार, व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वच्छता के बारे में शिक्षा दी जाएगी।
प्रीप्रेटरी स्टेज
इस स्टेज में क्लास 3 से 5 कवर की जाएंगी। अब इसमें खेल पर आधारित शिक्षा में बदलाव होगा। इसमें पढ़ने, लिखने के साथ-साथ कला, भाषा, विज्ञान और गणित जैसे विषयों में बच्चे को तैयार किया जाएगा।
मिडिल स्टेज
इस स्टेज में 6 से 8 तक की क्लास कवर होंगी। बच्चे को इसमें विज्ञान के साथ-साथ सामाजिक विज्ञान और मानविकी जैसे विषय सिखाए जाएंगे।
सेंकेडरी स्टेज
आखिरी स्टेज होने के साथ-साथ इस स्टेज में बच्चों के पास विषयों को चुनने का विकल्प होगा। साथ ही बच्चों की प्रोफेशनल नॉलेज पर ध्यान दिया जाएगा।
प्रीपरेट्री और मिडिल स्टेज में 40 मिनट का पीरियड
इसमें प्रीपरेट्री और मिडिल स्टेज में हर हफ्ते की शुरुआत 25 मिनट की असेंबली के साथ होनी चाहिए। वहीं एक पीरियड 40 मिनट का रहेगा। इसके बाद एक विषय से दूसरी क्लास में पढ़ाई की तैयारी के लिए 5 मिनट का ट्रांजिशन टाइम भी मिलेगा। टाइमटेबल में 15 मिनट का स्नैकर ब्रेक और 45 मिनट का लंच ब्रेक भी रखा जाएगा। इसके अलावा शनिवार को असेंबली नहीं होगी।
क्लास 6 से स्टूडेंट को मिलेगी प्रोफेशनल नॉलेज
नई शिक्षा नीति के तहत छठी क्लास से ही स्टूडेंट्स के स्किल पर ध्यान दिया जाएगा। इसमें बच्चों को प्रोफेशनल नॉलेज वाली वोकेश्नल शिक्षा दी जाएगी। साथ ही बच्चों को इंटर्नशिप भी करवाई जाएगी।
सेकेंडरी में एडिशनल एनरिचमेंट पीरियड भी शामिल
वहीं बात अगर क्लास 9 के बाद की करें तो इसमें 25 मिनट की असेंबली होगी, वहीं 50 मिनट का पीरियड होगा, इसके साथ ब्लॉक पीरियड मिला दें तो इसका समय 100 मिनट का हो जाएगा। सेकेंडरी स्टेज में लंच ब्रेक का टाइम बढ़ाकर 55 मिनट किया जाएगा। इसके साथ ही इसमें एडिशनल एनरिचमेंट पीरियड भी शामिल किया जाएगा, जिसके लिए स्कूल डेज बढ़ाए गए हैं।
क्लास 9 से 12 तक 8 ग्रुप में बांटे गए विषय
आखिरी के 4 साल बच्चों के लिए काफी खास भी होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें बच्चों के पास अपना मनपसंद सब्जेक्ट चुनने का विकल्प होगा। जो कि 8 ग्रुप में बांटे गए हैं। इनमें ह्यूमैनिटीज, मैथेमेटिक्स-कम्प्यूटरिंग, वोकेशनल एजुकेशन, आर्ट्स, फिजिकल एजुकेश, साइंस, सोशल साइंस और इंटर डिसिप्लीनरी सब्जेक्ट शामिल हैं।
पाठयक्रम को फ्लैक्सिबल बनाने की कोशिश
सरकार की ओर से नए इस नए फार्मूले के आधार पर शिक्षा प्रणाली में लचीलापन लाने की कोशिश की गई है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि इन बदलावों के बाद पाठ्यक्रम लचीलेपन पर आधारित होगा, इसमें स्टूडेंट्स जल्द से जल्द नई चीजें सीख पाएंगे, साथ ही उनके पास कार्यक्रमों को सीखने का भी अवसर होगा।
1986 में तैयार की गई थी वर्तमान की शिक्षा नीति
फिलहाल जो अभी शिक्षा नीति चल रही थी उसे साल 1986 में तैयार किया गया था और इसे साल 1992 में संशोधित किया गया था। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी की ओर से इस मुद्दे को घोषणापत्र में शामिल किया गया। बता दें कि इससे पहले सरकार स्कूलों में प्री-स्कूलिंग नहीं थी। क्लास एक से लेकर 10 तक सामान्य पढ़ाई थी जबकि क्लास 11 में आकर स्टूडेंट्स के पास विषय चुनने का विकल्प हुआ करता था।
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