पिथौरागढ़: उत्तराखंड सरकार प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने के तमाम दावे करती है। लेकिन सरकार के दावे कई बार जमीनी हकीकत के सामने फीके साबित होते हैं। इसी का एक उदाहरण है पिथौरागढ़ जिले में स्थित अनरगांव प्राथमिक विद्यालय, जहां बच्चे बीते दो सालों से विद्यालय भवन के अभाव में एक दुकान के कमरे में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।
जानकारी के अनुसार पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट तहसील के अंतर्गत स्थित अनरगांव प्राथमिक विद्यालय का भवन बीते दो साल पहले प्राकृतिक आपदा में रातों-रात ढह गया। लेकिन हादसे के बाद से आज तक शिक्षा विभाग ने विद्यालय भवन के पुनर्निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाए। जिस कारण बच्चे लंबे समय तक घरों में बैठे रहे। अंततः गांव के ही समाजसेवी श्याम सिंह ने बच्चों की शिक्षा जारी रखने के लिए अपनी दुकान निःशुल्क विद्यालय संचालन हेतु देदी। तब से अब तक विद्यालय इसी दुकान के एक कमरे में संचालित हो रहा है, जबकि असली विद्यालय भवन खंडहर में बदल चुका है।
न किताबें रखने की जगह न खेलने के लिए मैदान
स्थिति यह है कि पांच कक्षाओं के सात विद्यार्थी दुकान के एक ही छोटे से कमरे के कोने पर बैठकर पढ़ते हैं। कमरे के एक कोने में शिक्षक ब्लैकबोर्ड लगाकर पढ़ाते हैं, जबकि दूसरे कोने में भोजन माता मिड-डे मील तैयार करती हैं। इस स्थिति में न तो बच्चों के लिए पढ़ाई का उचित माहौल है। बच्चों को न किताबें रखने की जगह है और ना ही उनके खेलने के लिए कोई मैदान है। किसी दुकान के एक कमरे में बच्चों को शिक्षा देना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
उग्र आंदोलन की चेतावनी
अभिभावकों ने चिंता जताई है कि यदि यह अस्थायी व्यवस्था भी बंद हो गई, तो बच्चों को चार किलोमीटर दूर स्थित दूसरे विद्यालय में जाना पड़ेगा, जो छोटे बच्चों के लिए संभव नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि इस समस्या को कई बार शासन और शिक्षा विभाग के संज्ञान में लाया गया, अनेक बार पत्राचार किया गया, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र समाधान नहीं निकाला गया, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
कागज़ों तक सीमित हैं सरकारी योजनाएं
अनरगांव प्राथमिक विद्यालय की यह स्थिति उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था पर बड़े प्रश्नचिन्ह खड़े करती है। सरकार की योजनाएं सिर्फ कागज़ों तक सीमित हैं, जबकि जमीनी स्तर पर हालात बद से बदतर हैं। जहां सरकार आधुनिक सुविधाओं वाले स्कूल बनाने की बात करती है, वहीं एक सरकारी विद्यालय के बच्चे दुकान में बैठकर शिक्षा प्राप्त करने को मजबूर हैं। अब देखना यह होगा कि शासन इस मुद्दे पर कब तक संज्ञान लेता है और कब बच्चों को एक सुरक्षित एवं उपयुक्त विद्यालय भवन उपलब्ध कराया जाता है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी तरुण पंत से पूछने पर उन्होंने बताया कि “प्राथमिक विद्यालय अनरगांव के नए भवन के लिए बजट प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जा चुका है। स्वीकृति मिलते ही भवन निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।”

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