बेसिक स्कूलों में देर से आने वाले और जल्दी चले जाने वाले शिक्षकों पर शिकंजा कसने वाला है, जो शिक्षक बिना बताए अनुपस्थित हो जाते हैं, वह भी सचेत हो जाएं। किसी भी स्तर पर ढिलाई नहीं बरती जाएगी। अब मुख्यमंत्री इस पर सीधी निगरानी करेंगे। उनके समीक्षा बिंदुओं में भी यह विषय प्रमुखता से शामिल रहा करेगा।
दीपावली बाद इस दिशा में सख्त निर्देश और समीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है। स्कूलों में अब तक की उपस्थिति के आंकड़े की भी समीक्षा की जाएगी। खास यह कि प्रकरण में स्थानीय शिक्षा विभाग के कार्यालय की भूमिका सिर्फ ऊपर से प्राप्त आदेश का अनुपालन कराने की रहेगी।
मुख्यमंत्री डैशबोर्ड ने योजनाओं और परियोजनाओं की निगरानी व मूल्यांकन के लिए चार नए विभागों को शामिल किया है। इसमें सामाजिक कल्याण और सरकारी मंत्रालयों द्वारा चलाए जा रहे दसवीं से पहले और दसवीं से बाद दी जाने वाली छात्रवृत्ति, बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की उपस्थिति, खाद्य आपूर्ति विभाग, पिछड़ा वर्ग कल्याण से संबंधित धान खरीद के लिए शुरू की गई योजना पैडी प्रिक्योरमेंट स्कीम व चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग की ओर से संचालित परिवार नियोजन, जननी सुरक्षा योजना में भुगतान संबंधी मामलों के साथ गोल्ड कार्ड धारकों के पंजीयन संबंधी प्रकरण व स्वास्थ्य बीमा/आश्वासन योजना में क्लेम को लेकर आ रही परेशानियों व उससे संबंधित शिकायतों के निस्तारण आदि के साथ फर्स्ट रेफरल यूनिट संबंधी मामले पर भी समीक्षा होगी।
विभाग की सक्रियता कर्मियों की कार्यप्रणाली को जांचा जाएगा। इसे लेकर संबंधित विभागों ने तैयारी शुरू कर दी है। आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने भी सभी शिक्षकों की उपस्थिति, अनुपस्थिति और उनके स्कूल में पहुंचने के समय आदि संबंधी आंकड़े को जुटाकर पंजिका पर दर्ज करना शुरू कर दिया है।
पूर्व में शिक्षकों की उपस्थिति का रजिस्टर आनलाइन किया जाना था। प्रदेश भर में इसे लेकर आंदोलन चला। उसके बाद तीन माह के लिए इस निर्देश को स्थगित कर दिया गया था। अब शासन ने और बड़े स्तर से शिक्षकों की कार्यप्रणाली को सुधारने व उनके स्कूलों में योगदान से बच्चों को मिलने वाले लाभ का मूल्यांकन का निर्णय लिया है।
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