Friday, 8 November 2024

35 रुपए के चक्कर में रेलवे को लौटने पड़े 2.43 करोड़, कोटा के इस शख्स ने 5 सालों तक लड़ी लड़ाई, जानें माजरा


कोटा:- 
आईआरसीटीसी को एक केस में 2 रुपए के रिफंड के चक्कर में 2.43 करोड़ रुपए चुकाने पड़े. एडवोकेट सुजीत स्वामी ने 5 साल तक टिकट के रिफंड में कम मिले 35 रुपए के लिए लड़ाई लड़ी. इसका फायदा उनके साथ 10 लाख लोगों को हुआ. अधिवक्ता सुजीत स्वामी ने बताया कि अप्रैल 2017 में 2 जुलाई को यात्रा करने के लिए गोल्डन टेंपल में कोटा से नई दिल्ली के लिए टिकट बुक किया था. वेटिंग होने के कारण वे यात्रा नहीं कर पाए. उन्होंने 765 रुपए की कीमत वाला टिकट कैंसिल करवा दिया था. कैंसिल करवाने पर उन्हें 665 रुपए का रिफंड मिला. रेलवे ने 65 के बजाय 100 रुपए की कटौती करके उनसे सेवा कर के रूप में 35 रुपए की अतिरिक्त राशि वसूल की.

आरटीआई लगाकर सूचना मांगा
सुजीत स्वामी ने लोकल 18 को बताया कि जुलाई 2017 में मामले को लेकर आरटीआई लगाकर सूचना मांगी, जिसके तहत और कितने उपभोक्ता हैं, जिनके सेवा कर के रूप में 35 रुपए की कटौती की गई. इसके जवाब में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. रेलवे द्वारा दी गई जानकारी में सामने आया कि करीब 2 लाख 98 हजार उपभोक्ताओं से लगभग (10 लाख लोग) प्रति यात्री 35 रुपए सेवाकर के रूप लिए गए.

फिर दो रुपये के लिए किया संघर्ष
सुजीत ने बताया कि रेलवे मंत्री, पीएम को लेटर लिखा और सभी उपभोक्ताओं का पैसा रिफंड करने की मांग की. मई 2019 को सुजीत के बैंक अकाउंट में आईआरसीटीसी द्वारा 33 रुपए डाल दिए गए. इससे वो खुश नहीं थे. उनका मानना था कि आईआरसीटीसी ने वापस 35 के बजाय 33 रुपए ही लौटाए. सुजीत ने 2 रुपए रिफंड पाने के लिए फिर से संघर्ष शुरू किया. उन्होंने जुलाई 2019 में फिर से एक और आरटीआई लगाकर खुद के 2 रुपए के साथ-साथ सभी उपभोक्ताओं को रिफंड लौटाने की मांग की. रेलवे मंत्रालय के वित्त आयुक्त और सचिव भारत सरकार, रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर पैसेंजर मार्केटिंग, आईआरसीटीसी, मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस (रेवेन्यू) डिपार्टमेंट के सचिव और जीएसटी काउंसिल तक पहुंचा.

सुजीत के पास आईआरसीटीसी के अधिकारी का फोन आया. उन्होंने सभी उपभोक्ताओं के रिफंड रेलवे बोर्ड द्वारा अप्रूव होने की जानकारी दी. साथ ही सुजीत के बैंक अकाउंट की जानकारी मांगी. सुजीत के अकाउंट में रेलवे द्वारा 2 रुपए का रिफंड आया, जिसके बाद सुजीत ने पांच साल चले संघर्ष पूरा होने के बाद धन्यवाद कहने के लिए 535 रुपए पीएम केयर फंड में ट्रांसफर किए.

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