Friday, 4 October 2024

उत्तराखंड डाक विभाग में बड़ा भर्ती घोटाला, पंजाब-हरियाणा के युवाओं को बांट दी गई सरकारी नौकरियां



देहरादून: डाक विभाग में एक नया मामला सामने आया है, जहां ऐसे लोग भी डाक सेवक बन गए हैं, जिन्हें हिंदी लिखनी तक नहीं आती। यह केवल एक या दो लोगों की बात नहीं है, बल्कि ऐसे अयोग्य अभ्यर्थियों की संख्या सैकड़ों में हो सकती है।

बाहरी राज्यों के अभ्यर्थी जिन्हें हिंदी का ज्ञान नहीं विभाग की जांच में अब तक ऐसे छह मामले सामने आ चुके हैं, जिन पर मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। अब विभाग बाकी अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की भी छानबीन करेगा। अगर किसी और ने फर्जी तरीके से भर्ती पाई है, तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। डाक विभाग ने उत्तराखंड में ब्रांच पोस्ट मास्टर और असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर के 1200 पदों के लिए भर्ती निकाली थी। इस भर्ती में मेरिट के आधार पर चयन किया गया, लेकिन अधिकतर अभ्यर्थी पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों से हैं। अब यह सवाल उठ रहा है कि हिंदी न जानने वाले अभ्यर्थियों का चयन कैसे हुआ जबकि स्थानीय युवाओं का नाम मेरिट में क्यों नहीं आया?

हिंदी लिखना नहीं आता है और सभी विषयों में A++ ग्रेड

डाक सेवक पद के लिए चयनित एक अभ्यर्थी को हरियाणा बोर्ड ने 10वीं में हिंदी समेत सभी विषयों में A++ ग्रेड दे दिया, जबकि उसे हिंदी के सामान्य शब्द भी लिखने नहीं आते। इसी ग्रेड के आधार पर उसका चयन किया गया। मामले की जांच करते समय जब उत्तराखंड डाक विभाग के इंस्पेक्टर ने हरियाणा बोर्ड के अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा, तो उन्होंने यह कहते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया कि छात्र को उसकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि के आधार पर अंक प्रदान किए गए हैं।
कम अंक होने के कारण उत्तराखडं के युवा मेरिट से बाहर

असल में इस पद के लिए मेरिट लिस्ट बोर्ड परीक्षा के अंकों के आधार पर तैयार की जाती है। इसी कारण उत्तराखंड के युवाओं के अंक कम होने के चलते उनका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं आया। निदेशक अनसूया प्रसाद चमोला ने स्पष्ट किया कि विभाग में किसी भी गलत अभ्यर्थी का चयन नहीं किया जाएगा। प्रारंभिक जांच में चमोली से तीन और अल्मोड़ा से तीन अभ्यर्थियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, जिन्होंने फर्जी तरीके से भर्ती में सफलता प्राप्त की। सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की भी जांच की जाएगी।

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