नैनीताल: स्नातक के चतुर्थ सेमेस्टर के परिणाम में 500 विद्यार्थियों को पहले उत्तीर्ण घोषित कर पंचम सेमेस्टर में प्रोन्नत किया गया था लेकिन अब उन्हें फेल कर दिया गया है। एक सप्ताह के भीतर हुए रिजल्ट में इस बदलाव के कारण छात्र-छात्राएं परेशानी का सामना कर रहे हैं।
कुमाऊं विश्वविद्यालय की अव्यवस्था विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। परीक्षा से लेकर परिणाम तक की लापरवाही ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा की दिशा तय करने वाली यूनिवर्सिटी ने अब एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। कुमाऊं विवि की स्नातक चतुर्थ सेमेस्टर परीक्षा के परिणाम के बाद विवाद खड़ा हो गया है। एक हजार से अधिक विद्यार्थियों को पहले और द्वितीय सेमेस्टर में बैक होने के कारण पंचम सेमेस्टर में प्रोन्नति से रोका गया जिससे काफी विरोध हुआ था।
पोर्टल में तकनीकी खराबी पर झाड़ रहे पल्ला
कुमाऊं विश्वविद्यालय ने चतुर्थ सेमेस्टर के 500 से अधिक विद्यार्थियों को पहले पास दिखाया लेकिन बाद में फेल कर दिया। एमबीपीजी कॉलेज के प्रभावित छात्र गुरुवार को दिनभर 100 से अधिक छात्र-छात्राएं विवि के ऑफिस और पोर्टल से अंकपत्र अपडेट कराते रहे। 17 जुलाई को पास दिखाने के बाद गुरुवार को फेल का रिजल्ट देखकर छात्रों ने विरोध जताया। कुमाऊं विवि के अधिकारी पोर्टल की तकनीकी समस्या को कारण बता रहे हैं।
ऐसी लापरवाही से केयू-डीयू कैसे बनेगा ?
उच्च शिक्षा विभाग लगातार विश्वविद्यालयों की निगरानी करके सत्र को नियमित करने का प्रयास कर रहा है। साथ ही शासन ने परिणामों की समय पर घोषणा करने के लिए विश्वविद्यालयों पर दबाव बनाया है, जिससे परिणामों में गड़बड़ी की संभावना बढ़ गई है। इसके अलावा पोर्टल संचालन करने वाली फर्म की ओर से कमांड फीड में लापरवाही भी एक वजह मानी जा रही है। कुमाऊं विवि की शिक्षण, शोध और संसाधनों के विकास पर कुछ वर्षों से तेजी से चर्चाएं हुई हैं और इसे दिल्ली विश्वविद्यालय जैसा बनाने की बातें की जा रही हैं। हालांकि पिछले परीक्षा परिणामों में गड़बड़ी और लापरवाही के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या ऐसे केयू को डीयू बनाया जाएगा। छात्रनेताओं ने इसपर कहा है जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए।
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