Thursday, 30 May 2024

PROJECT WORK: छुट्टियों का होमवर्क है या नासा का प्रोजेक्‍ट! देखकर हिल गया पेरेंट्स का दिमाग, CBSE से लगा डाली गुहार


 छुट्टियों का होमवर्क है या नासा का प्रोजेक्‍ट! देखकर हिल गया पेरेंट्स का दिमाग, CBSE से लगा डाली गुहार

एक समय था जब स्‍कूल में पढ़ने वाले बच्‍चों को मई-जून में गर्मियों की छुट्टियां इसलिए दी जाती थीं कि वे अपने दादा दादी, नाना नानी के साथ समय बिता सकें. कहीं पर्यटन पर जाकर मस्ती कर सकें और दो महीने आराम से मानसिक और शारीरिक रूप से पूरे साल पढ़ने के लिए तैयार हो सकें. लेकिन अब सिर्फ एक महीने, जून की छुट्टी दी जाती है. उसमें भी बच्‍चों को करने के लिए इतना भारी-भरकम होमवर्क दे दिया जाता है कि बच्‍चा पूरी छुट्टियों में उस होमवर्क को ही मुश्किल से पूरा कर पाता है.

हाल ही में हरियाणा के कई स्‍कूलों में छोटे-छोटे बच्‍चों को स्‍कूल की ओर से दिए गए हॉलिडे होमवर्क को देखकर अभिभावकों का दिमाग हिल गया. नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी और प्राथमिक कक्षा के बच्‍चों को स्‍कूलों ने ऐसा होमवर्क दिया कि उसे देखकर पेरेंट्स एक दूसरे से पूछने लगे कि ये स्‍कूल का होमवर्क है या नासा का प्रोजेक्‍ट? कहीं स्‍कूल वाले नर्सरी के बच्‍चों को वैज्ञानिक तो नहीं बनाने जा रहे हैं?

स्‍कूलों से मिला है ऐसा होमवर्क
हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने हॉलिडे होमवर्क को लेकर सीबीएसई के अलावा मुख्‍यमंत्री, शिक्षा मंत्री और बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग में शिकायत दी है. पेरेंट्स ने प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों पर आरोप लगाते हुए बताया कि कई सारे स्‍कूलों में ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में नर्सरी, एलकेजी यूकेजी से लेकर प्राथमिक क्लास के बच्चों को भारी-भरकम होमवर्क के रूप में इलेक्ट्रिक ‌सर्किट, एम्यूजमेंट पार्क का थ्रीडी मॉडल, दिल्ली मेट्रो और फ्लाईओवर का प्रोजेक्ट बनाने, थर्माकोल का एफिल टॉवर बनाने, कंप्यूटर का वर्किंग मॉडल, संस्कृति से गणित के फार्मूलों की डिक्शनरी बनाने का प्रोजेक्‍ट दिया गया है.

मां-बाप क्‍या करें? 
मंच ने सीबीएसई से शिकायत में कहा कि इतने छोटे बच्‍चों को ऐसे प्रोफेशनल प्रोजेक्‍ट बनाने के लिए दिए गए हैं जिनकी कोई भी नॉलेज छात्रों को नहीं है. थक-हारकर बच्चे होमवर्क पूरा करने के लिए मां-बाप का सहारा ले रहे हैं. जिनके मां बाप पढ़े लिखे होते हैं वे तो होमवर्क पूरा करने में या कराने में मदद कर देते हैं लेकिन जिन बच्चों के मां-बाप ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते हैं उन्‍हें पैसा देकर मजबूरी में प्रोफेशनल व्यक्तियों से होमवर्क पूरा कराना पड़ता है. इससे न केवल अभिभावक परेशान हो रहे हैं बल्कि प्रोफेशनल लोगों व दुकानदारों की कमाई हो रही है.

क्‍या होता है इन प्रोजेक्‍ट्स का..
मंच ने आरोप लगाया कि ऐसे प्रोजेक्ट बच्‍चों से बनवा तो लिए जाते हैं लेकिन बाद में स्कूल के शो केस की शोभा बढ़ाते हैं या स्टोर रूप में फेंक दिए जाते हैं. मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि स्कूल प्रबंधक होमवर्क देकर सीबीएसई व हरियाणा शिक्षा नियमावली के उस नियम का उल्लंघन कर रहे हैं जिसमें कहा गया है कि प्री प्राथमिक कक्षा व प्राइमरी क्लास तक के बच्चों को होमवर्क देना ही नहीं चाहिए. होमवर्क से बच्चों के ग्रेड से कोई लेना-देना नहीं है. मंच ने इस मामले में दोषी स्कूलों के खिलाफ उचित कार्यवाही की मांग की है.

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