पहले और दूसरे प्रमोशन के लिए जरूरी सेवा अवधि (अर्हकारी सेवा) का 50 फीसदी हिस्सा दुर्गम क्षेत्र में बिताने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को ही प्रमोशन का लाभ मिल सकेगा। तबादला ऐक्ट के प्रावधानों के...पहले और दूसरे प्रमोशन के लिए जरूरी सेवा अवधि (अर्हकारी सेवा) का 50 फीसदी हिस्सा दुर्गम क्षेत्र में बिताने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को ही प्रमोशन का लाभ मिल सकेगा। तबादला ऐक्ट के प्रावधानों के अनुसार, इस महीने से यह व्यवस्था लागू हो गई है।
प्रमोशन में दुर्गम की सेवा अवधि की शर्त तबादला ऐक्ट के संक्रमण काल के चलते 30 जून 2020 तक लागू नहीं थी। ऐक्ट में तय संक्रमण काल खत्म हो जाने की वजह से एक जुलाई 2020 से यह व्यवस्था स्वतः लागू हो गई है। अब विभागों को अपनी नियमावलियों को भी इसके अनुसार संशोधित करना होगा। इधर, शिक्षक-कर्मचारी इस मानक के कारण परेशान हैं। उनका साफ कहना है कि वर्ष 2018 में तबादला ऐक्ट लागू होने के बाद से एक बार भी राज्य सरकार ने उसका पूरी तरह से पालन नहीं किया। शत-प्रतिशत की बजाय 10% तबादले होने से कई कर्मचारियों को तबादलों का लाभ नहीं मिला। ऐसे कर्मचारी दुर्गम की सेवा के मानक से बाहर रह जाएंगे। ऐसे में राज्य सरकार को इस ऐक्ट में संशोधन करना चाहिए।
ऐक्ट की धारा-19
पहली और दूसरी प्रोन्नति के लिए दुर्गम इलाके में अर्हकारी सेवा की व्यवस्था पूरी तरह से एक जुलाई 2020 से लागू होगी। इस तिथि से प्रोन्नति के लिए न्यूनतम अर्हकारी सेवा का न्यूनतम आधा भाग दुर्गम में व्यतीत करना जरूरी होगा। तभी प्रोन्नति पर विचार किया जाएगा। सेवा नियमावलियों में इसका अलग से प्रावधान भी किया जाएगा। जो कार्मिक अपने सेवाकाल में दुर्गम क्षेत्र में तैनात नहीं हो सके हैं, वे भविष्य में प्रोन्नति के पात्र होने पर अनुरोध के आधार पर दुर्गम क्षेत्र में स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते हैं।
अनुरोध : सरप्लस पद समाप्त न किए जाएं : शिक्षक संघ
राजकीय शिक्षक संघ ने सरप्लस शिक्षकों के पदों को समाप्त न करने की मांग की है। प्रदेश महामंत्री डॉ. सोहन सिंह माजिला का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में भी एलटी कैडर में 2600 पद समाप्त किए गए थे। कई जिलों में छात्र संख्या इसलिए भी कम है, क्योंकि शिक्षक नहीं हैं। अगर शिक्षक होंगे तो छात्र भी आएंगे। इसलिए जहां शिक्षकों के पदों की कमी है, वहां इन पदों को शिफ्ट कर दिया जाए। मालूम हो कि सरकार के निर्देश पर शिक्षा विभाग छात्र संख्या के आधार पर सरप्लस शिक्षक चिह्नित कर रहा है। गढ़वाल और कुमाऊं में मात्राकरण के दौरान 900 के करीब सरप्लस पद पाए गए हैं।
शैक्षिक महासंघः प्रमोशन के लिए छूट की समय सीमा बढ़ाई जाए
देहरादून। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने कोविड-19 के चलते पैदा हुए हालात को देखकर महाविद्यालयों और विवि के शिक्षकों को करिअर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रमोशन में छूट देने की मांग उठाई। महासंघ की ओर से भेजे ज्ञापन में कहा गया है कि स्कीम के तहत जरूरी छूट की समय सीमा दिसंबर, वर्ष 2021 तक बढ़ाई जाए। कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रशांत सिंह ने कहा, यूजीसी की ताजा गाइडलाइन में उच्च शिक्षण संस्थान के शिक्षकों को अभिविन्यास और पुनश्चर्या कार्यक्रम ऑनलाइन करने की अनुमति दी गई है। लेकिन, इन कोर्स को विस्तारित करने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। कार्यक्रम दिसंबर 2021 तक विस्तारित करने से पूरे देशभर में दस हजार से अधिक शिक्षक लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों को पूरा करने के दौरान मिलने वाले ऑन ड्यूटी अवकाश पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। महासंघ ने उत्तराखंड सरकार से भी यूजीसी दिशा-निर्देश के बाद इस बारे में जरूरी निर्देश जारी करने की मांग की है।
सरकार ने तबादला ऐक्ट का कभी पालन नहीं किया। ऐक्ट के प्रावधान आधे-अधूरे लागू किए जाते रहे हैं। अब अर्हकारी सेवा की बंदिश का असर शिक्षकों के प्रमोशन पर पड़ सकता है। सरकार तत्काल संक्रमण काल की अवधि बढ़ाए।
डॉ. सोहन सिंह माजिला, प्रदेश महामंत्री-राजकीय शिक्षक संघ
ऐक्ट में तमाम खामियां हैं। कई बार कर्मचारी संगठनों ने अपनी बात रखने का प्रयास किया, मगर इसे गंभीरता से लिया ही नहीं गया है। जब ऐक्ट शत-प्रतिशत तरीके से लागू किया ही नहीं गया तो संक्रमण काल का भी कोई औचित्य नहीं है। सरकार इस पर जल्द से जल्द विचार करे।अरुण पांडे, कार्यकारी महामंत्री, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद संक्रमण काल की बाध्यता से संकट खड़ा हो गया है। दुर्गम में 50% सेवा न होने पर प्रमोशन प्रभावित करना न्यायोचित नहीं है। इस मामले को सरकार गंभीरता से लेते हुए विसंगतियों को दूर करे। मुकेश बहुगुणा, गढ़वाल अध्यक्ष एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल ऑफिसर्स एसोसिएशन

No comments:
Post a Comment