नई दिल्ली. स्कूलों को अगर मार्क्स अपलोड करते समय पहले गलतियां करने और फिर सीबीएसई बोर्ड से इसमें बदलाव की मांग करने की इजाजत दी गई तो ‘पूरी तरह से अराजकता’ की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. दिल्ली हाईकोर्ट ने एक छात्रा की याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की.
छात्रा ने अपनी याचिका में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) पोर्टल पर 10वीं क्लास के आंतरिक मूल्यांकन अंक में सुधार करने का अनुरोध किया था. जस्टिस सी. हरिशंकर ने कहा कि हालांकि अदालत को छात्रा से सहानुभूति है, लेकिन आंतरिक मूल्यांकन अंकों में ऐसे किसी भी बदलाव की अनुमति नहीं देने वाले परिपत्रों के मद्देनजर यह ‘बेमानी’ है, क्योंकि एक बार अपलोड होने के बाद उन्हें रिजल्ट तैयार करने के लिए अंतिम माना जाता है.
रिजल्ट अपलोड होने के बाद नहीं की जा सकती नंबरों में सुधार की मांग
अदालत ने हालिया आदेश में कहा, ‘एक बार जब कोई स्कूल किसी छात्र के आंतरिक मूल्यांकन अंक CBSE की वेबसाइट पर अपलोड कर देता है, तो वह उस संबंध में कोई सुधार का अनुरोध नहीं कर सकता, भले ही अंक अपलोड करते समय कोई त्रुटि हुई हो.’ इसने कहा, ‘यह उन दुर्भाग्यपूर्ण मामलों में से एक है जिसमें अदालत को खेद है कि उसे दिल से नहीं दिमाग से फैसला करना होगा.’
ओमान में सीबीएसई से संबद्ध एक स्कूल की छात्रा ने याचिका में कहा कि आंतरिक मूल्यांकन में एक प्रश्नपत्र में 20 में से 20 अंक हासिल करने के बावजूद सीबीएसई द्वारा घोषित 10वीं के परिणाम से उसे 18 अंक दिए गए हैं.
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