Saturday, 6 January 2024

Aditya-L1 Mission: भारत ने अंतरिक्ष में रचा नया इतिहास, अपने लक्ष्य तक पहुंचा आदित्य एल-1; PM मोदी ने दी बधाई


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एएनआई, नई दिल्ली। भारत ने शनिवार को अंतरिक्ष में नया इतिहास रचा है। भारत का सूर्य मिशन आदित्य एल-1 अपने लक्ष्य तक पहुंच गया है। इसरो की इस कामयाबी पर प्रधानमंत्री मोदी ने बधाई दी है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची। उन्होंने कहा कि यह हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है।

पीएम मोदी ने इसरो को दी बधाई

पीएम मोदी ने कहा, मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। उन्होंने कहा कि हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।

जितेंद्र सिंह ने इसरो के काम को सराहा

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसरो की सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि चांद से लेकर सूर्य तक हम। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत के लिए यह साल कितना शानदार रहा। हमारी इसरो टीम ने एक और सफलता की कहानी लिखी है। आदित्य एल-1 सूर्य के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है।

आदित्य एल-1 मिशन की कब हुई थी शुरुआत?

बता दें कि एल-1 प्वाइंट के पास की कक्षा में रखे गए सेटेलाइट से सूर्य को बिना किसी छाया के लगातार देखा जा सकेगा। एल-1 का उपयोग करते हुए चार पेलोड सीधे सूर्य की ओर होंगे। शेष तीन पेलोड एल-1 पर ही क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे। पांच साल के इस मिशन के दौरान आदित्य इसी जगह से सूर्य का अध्ययन करेगा।

आदित्य-एल-1 सूर्य का अध्ययन करने वाली अंतरिक्ष में स्थापित की जाने वाली पहली भारतीय वेधशाला है। पिछले साल दो सितंबर को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 'आदित्य' के साथ उड़ान भरी थी।

कैसे काम करेगा आदित्य एल-1?

जानकारी के अनुसार, आदित्य एल-1 का विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) पेलोड सीएमई की गतिशीलता का अध्ययन करेगा। सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआइटी) फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की तस्वीरें लेगा।

क्या है एल-1 प्वाइंट
एल-1 प्वाइंट के आसपास के क्षेत्र को हेलो ऑर्बिट के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बीच मौजूद पांच स्थानों में से एक है, जहां दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के बीच साम्यता है। मोटे तौर पर ये वे स्थान हैं, जहां दोनों पिंडों की गुरुत्व शक्ति एक दूसरे के प्रति संतुलन बनाती है। पृथ्वी और सूर्य के बीच इन पांच स्थानों पर स्थिरता मिलती है, जिससे यहां मौजूद वस्तु सूर्य या पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में नहीं फंसती है।

एल-1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का केवल 1 फीसदी है। दोनों पिंडों की कुल दूरी 14.96 करोड़ किलोमीटर है। इसरो के एक वैज्ञानिक के अनुसार हेलो ऑर्बिट सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के घूमने के साथ-साथ घूमेगा।


उत्सकुता से देख रही दुनिया
इसरो के इस अभियान को पूरी दुनिया में उत्सुकता से देखा जा रहा है, क्योंकि इसके सात पेलोड सौर घटनाओं का व्यापक अध्ययन करेंगे और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को डाटा मुहैया कराएंगे, जिससे सभी सूर्य के विकिरण, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन कर पाएंगे। अंतरिक्ष यान में एक कोरोनोग्राफ है, जो वैज्ञानिकों को सूर्य की सतह के बहुत करीब देखने और नासा व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला (एसओएचओ) मिशन के डाटा को पूरक डाटा मुहैया कराएगा। क्योंकि, आदित्य एल-1 अपनी स्थिति में स्थित एकमात्र वेधशाला है।

18 सितंबर से शुरू कर दिया काम
शुक्रवार को आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में सफर करते हुए 126 दिन पूरे हो गए। अपनी यात्रा शुरू करने के 16 दिन बाद यानी 18 सितंबर से आदित्य ने वैज्ञानिक डाटा एकत्र करना और सूर्य की इमेजिंग शुरू कर दी थी। वैज्ञानिकों को अब तक एल-1 से सौर ज्वालाओं के हाई-एनर्जी एक्स-रे, फुल सोलर डिस्क इमेज मिल चुके हैं। पीएपीए और एएसपीईएक्स के सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर सहित चार उपकरण फिलहाल सक्रिय हैं और अच्छी तरह से काम कर रहे हैं। हेलो आर्बिट में पहुंचने के बाद सूईट पेलोड सबसे पहले सक्रिय होगा।

सात पेलोड हैं तैनात
आदित्य पर सात वैज्ञानिक पेलोड तैनात किए गए हैं। इनमें विजिबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफ (वीईएलसी), सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (सूइट), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (सोलेक्सस), हाई-एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (हेल1ओएस) शामिल हैं, जो सीधे तौर पर सूर्य को ट्रैक करें। वहीं, तीन इन-सीटू (मौके पर) मापने वाले उपकरण हैं, जिनमें आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स), प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए), और एडवांस थ्री डाइमेंशनल हाई रिजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर (एटीएचआरडीएम) शामिल हैं।

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