देहरादून। राज्य में एलटी/प्रवक्ता के प्रमोशन एक अजीबोगरीब शर्त के पूरा न होने की वजह से लटके हुए हैं। शर्त ये कि तत्तसंबंधी मामले में कोर्ट गए शिक्षक पहले केस वापस लें।
राज्य में लंबे समय से एलटी शिक्षकों को प्रवक्ता पद पर विषयगत लाभ नहीं मिल पा रहा है। न ही एलटी/प्रवक्ता के प्रमोशन हो पा रहे हैं। एलटी/प्रवक्ता पद का प्रथम प्रमोशन का पद हेडमास्टर है। प्रमोशन न होने की वजह कुछ शिक्षकों के कोर्ट जाना बताया जा रहा हैं। स्कूली शिक्षा के मंत्री डा. धन सिंह रावत इन दिनों कई बार कह चुके हैं कि शिक्षक केस वापस लें तो तुरंत प्रमोशन हो जाएंगे। कोर्ट गए शिक्षकों पर ये शर्त हो तो समझ में आती है। मगर, आम शिक्षकों पर प्रमोशन के लिए ये शर्त थोपना अजीबोगरीब है।
दरअसल, कोर्ट गए शिक्षक का बगैर निर्णय के केस वापस लेने का क्या मतलब हो सकता है। स्वयं के साथ विभागीय स्तर पर न्याय न होने की स्थिति में ही कोई शिक्षक कोर्ट गया होगा। बगैर न्याय मिले कोई शिक्षक दूसरे के प्रमोशन के लिए क्यों केस वापस लेगा। इसके अलावा कुछ शिक्षकों कों कोर्ट जाने से दूसरे शिक्षकों के प्रमोशन क्यों और कैसे लटक सकते हैं। ये कानून के जानकार भी नहीं समझ पा रहे हैं। खास बात ये है कि विभाग की शर्त की वजह से बगैर प्रमोशन पाए शिक्षक हर माह सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
पूर्व में ऐसे मामलों में प्रमोशन इस शर्त पर होते थे कि उक्त प्रमोशन कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन होंगे। आम शिक्षक सवाल उठा रहे हैं कि आखिर अब ऐसा क्यों नहीं हो रहा है। स्कूली शिक्षा के महानिदेशक बंशीधर तिवारी का कहना है कि एलटी-प्रवक्ता के अलावा एलटी/प्रवक्ता से हेड मास्टर पद पर प्रमोशन कोर्ट केस की वजह से नहीं हो पा रहे हैं।
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