Monday 28 August 2023

Chandrayaan-3: चांद पर रोवर प्रज्ञान के सामने आया बड़ा सा गड्ढा, तो खतरा देख रोवर ने खुद बदल लिया रास्ता

 



भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को बताया कि चंद्रमा की सैर के दौरान रोवर प्रज्ञान को बड़े गड्ढे का सामना करना पड़ा था, फिर उसे ‘नए रास्ते’ पर भेजा गया है. यह जानकारी ट्वीट के जरिए दी गई. इसमें कहा गया कि चंद्रमा की सतह पर चार मीटर के गड्ढे के आमने-सामने आने के बाद भारत के प्रज्ञान रोवर को सुरक्षित रूप से वापस भेज दिया गया है. यह गड्ढा रोवर प्रज्ञान ने पहले ही ही देख लिया था और फिर उसे दूसरे रास्‍ते पर भेजा गया.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कहा है कि रोवर प्रज्ञान ने अपने किनारों से करीब 3 मीटर पहले ही गड्ढे को देख लिया था; इससे उसे समय रहते सुरक्षित रास्‍ते पर भेज दिया गया. यह छह पहियों वाला, सौर ऊर्जा से संचालित रोवर अपेक्षाकृत अज्ञात क्षेत्र में चारों ओर घूमेगा और अपने दो सप्ताह के जीवनकाल में छवियां और वैज्ञानिक डेटा प्रसारित करेगा.

समय के विरुद्ध एक दौड़ जैसा
एक चंद्र दिवस पूरा होने में केवल 10 दिन शेष रह गए हैं और स्‍पेस एप्‍लीकेशंस सेंटर (एसएसी) के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने कहा है कि चंद्रयान-3 का रोवर मॉड्यूल प्रज्ञान, चंद्रमा की सतह पर घूम रहा है. यह समय के विरुद्ध एक दौड़ जैसा है. इसरो वैज्ञानिक छह पहियों वाले रोवर के माध्यम से अज्ञात दक्षिणी ध्रुव की अधिकतम दूरी को कवर करने के लिए काम कर रहे हैं.

दो मुख्य उद्देश्य सफलतापूर्वक पूरे, तीसरा उद्देश्य चल रहा
उन्होंने कहा कि मून मिशन के तीन मुख्य उद्देश्य थे: चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग, प्रज्ञान रोवर की गति और रोवर और लैंडर विक्रम से जुड़े पेलोड के माध्यम से विज्ञान डेटा प्राप्त करना. वैज्ञानिक ने कहा, “हमारे दो मुख्य उद्देश्य सफलतापूर्वक पूरे हो गए हैं, लेकिन हमारा तीसरा उद्देश्य चल रहा है.” इससे पहले रविवार को, इसरो ने कहा कि चंद्रयान -3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल ने अपने प्रयोगों को सफलतापूर्वक करना शुरू कर दिया है और बाद में उन्हें देश की अंतरिक्ष एजेंसी के मुख्यालय में वापस भेज दिया है.


चंद्र सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ भी जारी
एसपीसीएई एजेंसी ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर मॉड्यूल पर चाएसटीई (ChaSTE) पेलोड द्वारा मापी गई गहराई में वृद्धि के साथ चंद्र सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ भी जारी किया है. पेलोड में एक तापमान जांच है जो नियंत्रित प्रवेश तंत्र से सुसज्जित है जो सतह के नीचे 10 सेमी की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है.


चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरकर रचा इतिहास
भारत ने 23 अगस्त को एक बड़ी छलांग लगाई थी, जब चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा, जिससे यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन गया है. इस अमेरिका, चीन और रूस के बाद चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला देश चौथा बन गया.

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