ऑनलाइन शिक्षा क्या है
सरल भाषा में हम ऑनलाइन शिक्षा को उस प्रणाली के रूप में समझ सकते हैं, जिसके द्वारा विद्यार्थी अपने ही घर में बैठकर इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण यथा कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन और टेबलेट के द्वारा शिक्षा प्राप्त कर सके. इस नई शिक्षा प्रणाली में दूरी और समय के बंधन को बिलकुल दूर कर दिया हैं. विद्यार्थी जहाँ चाहे वहां बैठकर रियल टाइम अथवा रिकार्डेड लेक्चरर की मदद से पढ़ाई कर सकते हैं.
महामारी के इस दौर में डिजिटल शिक्षा को लोकप्रिय बनाने में हमारे शिक्षकों और सरकारों का भी बड़ा योगदान रहा हैं. कई विद्यालयों ने नियमित रूप से अपने गुरुजनों की शिक्षण गतिविधियों को बच्चों तक वर्चुअल रूप में पहुंचाना शुरू किया हैं. इससे छात्रों के लिए घर बैठकर विद्याययन में बेहद सुविधा मिली हैं. उदाहरण के लिए राजस्थान सरकार ने स्माइल प्रोजेक्ट के तहत स्कूली बच्चों को व्हाट्सएप्प के जरिये रोजाना स्टडी मेटेरियल विडियो ऑडियो आदि पहुचाएं जाते हैं. इस नई पहल से शिक्षा व्यवस्था बाधित होने की बजाय अधिक आसान हुई हैं.
ऑनलाइन शिक्षा माध्यम कई कारणों से लोकप्रिय हुआ हैं. इसका संचालन और प्रदत्त सुविधाए आसान और हर इंसान तक आसानी से सुलभ हैं. यही कारण है कि नर्सरी की कक्षाओं से लेकर बड़े बड़े डिग्री कोर्स की ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं और बच्चें रूचि से उसमें भाग भी लेते हैं. इस कक्षा से जुड़ने के लिए सिर्फ अच्छे इन्टरनेट कनेक्शन की जरूरत होती हैं. इसमें विडियो, ऑडियो और वेब कंटेट के माध्यम से बच्चों को प्रशिक्षित किया जाता हैं. वर्ष 1993 से ऑनलाइन शिक्षा को वैध दर्जा दिया गया था.
ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली में कठिनाइयां और सम्भावनाएं
अभी तक ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली अपनी आरम्भिक अवस्था हैं इस कारण इसे उतना अमल में नहीं लाया जा सका हैं जिससे व्यवस्था में आने वाली मुशिबतों की शिनाख्त की जाए. मगर कई बड़े और मूलभूत कारणों से आज भी इस पद्धति का सभी बच्चें लाभ नहीं उठा पाते हैं. जिनमें पहली समस्या हैं तीव्र गति के इंटरनेट का अभाव.आज भी सुदूर प्रान्तों में इन्टरनेट की स्पीड उतनी नहीं है जिससे ऑनलाइन क्लास अटेंड की जा सके. दूसरी समस्या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को लेकर हैं. मध्यम और निम्न परिवारों के बच्चों को स्मार्ट फोन आदि नहीं दिया जाता हैं अथवा परिवार की आर्थिक स्थिति उस दर्जे की नहीं होती है जो यह खर्च निर्वहन कर सके.
एक बड़ी बाधा यह भी हैं चूँकि शिक्षकों के लिए पढ़ाने का यह नवीन माध्यम हैं, परम्परागत अध्यापक इस तरह की तकनीक के समक्ष स्वयं को प्रस्तुत करने से भी हिचकिचाते हैं. यदि हम ऑनलाइन शिक्षा की सम्भावनाओं की बात करें इंटरनेट के इस युग में इस पद्धति का महत्व तेजी से बढ़ रहा हैं. आज बहुत से संस्थान कम्पीटीशन की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के घर ऑनलाइन कोर्स मुहैया करवा रहे हैं. दूरस्थ शिक्षा की संस्थाएं भी तेजी से इस विकल्प को अपनाने की ओर बढ़ रही हैं. ऐसे में हम आने वाले दशक में भारत में ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देख सकते हैं.
ऑनलाइन शिक्षा के फायदे व नुकसान
ऑनलाइन शिक्षा के लाभ : यदि हम समग्र रूप से सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए डिजिटल एज्युकेशन की बात करें तो हमें इसके लाभ हानि, वरदान या अभिशाप (Boon or curse) महत्व (Importance) आदि की भी बात करनी होगी. यहाँ कुछ बिन्दुओं के जरिये इस नवीन पद्धति के फायदों को समझने का प्रयास करते हैं.
- ऑनलाइन शिक्षा के कई सारे लाभ घर बैठकर पढ़ाई करने की सुविधा के कारण जन्म लेते हैं.
- विभिन्न प्रकार के मौसम, परिस्थतियाँ, गृहणी या विकलांगता जैसी बाधाओं से शिक्षा प्रभावित नहीं हो पाती हैं.
- नियमित रूप से आवागमन की बाधा समाप्त हो जाने से बहुत सा समय और खर्च की बचत भी हो जाती हैं.
- विद्यालय के संसाधनों एवं संभारतन्त्र की बचत भी हो जाती हैं.
- पढाई से पूर्व की औपचारिकता में व्यय होने वाले समय को बचाया जा सकता हैं.
- डिजिटल डेटा को आसानी से सेव किया जा सकता हैं जिस कारण पूर्व में दिए गये लेक्चर को किसी भी समय पुनः उपयोग किया जा सकता हैं.
ऑनलाइन शिक्षा के हानियाँ : अभी तक हमने ऑनलाइन शिक्षा माध्यम क्या हैं इसका महत्व क्या हैं इसकी आज के समय में सम्भावनाएं, चुनौतियों और फायदे के बारें में जाना हैं. एक तरफ इस पद्धति के कई सारे लाभ हैं तो दूसरी ओर इसके कई दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं. नीचे दिए गये बिन्दुओं की मदद से इस शिक्षण पद्धति की हानियों के बारें में भी जानते हैं.
- सभी बच्चें एक जैसे नहीं होते है उनमें व्यापक स्तर पर विविधता पाई जाती हैं. इसलिए स्क्रीन पढना या देखना उतना सहज भी नहीं होता हैं. हार्डकॉपी की तुलना में स्क्रीन पर पढना बहुत कठिन हो जाता हैं.
- ऑनलाइन शिक्षा से होने वाले बड़े नुकसानों में बच्चों के नेत्र, अंगुलियों तथा रीढ़ की हड्डी में आने वाली विकृति भी हैं.
- अमूमन ऑनलाइन क्लास में एक शिक्षक सभी बच्चों के साथ संवाद स्थापित नहीं कर पाता हैं, ऐसे में एक तरफे संवाद की स्थिति अधिगम के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती हैं.
- ऑनलाइन तरीके से बच्चें के अधिगम उनकी समझ व कमजोरियों का परीक्षण सही रूप में नहीं किया जा सकता हैं.
- यह शिक्षा माध्यम विद्यार्थी को अधिक स्वतंत्रता देता हैं इसके कारण वह अपने मन के मुताबिक़ कार्य करने लगता हैं, इससे अनुशासन की भावना बच्चें में विकसित नहीं हो पाती हैं.
- जब बालक को मोबाइल अथवा कोई गेजेट दे दिया जाता है तो उसकी मोनिटरिंग भी नहीं हो पाती हैं, वह क्या देखता हैं आदि. बच्चे के चरित्र को गलत दिशा देने वाले कंटेट की कमी नहीं हैं. ऐसे में माँ बाप भी उन्हें स्मार्ट फोन देने से हिचकिचाते हैं.
ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को सुधारने के उपाय
निष्कर्ष
अंत में निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता हैं यदि प्रबंधित रूप से बच्चों को ऑनलाइन माध्यम द्वारा सीखने के अवसर दिए जाए तो वह तनाव रहित होकर रूचि के साथ सीख सकता हैं. हम टेक्स्ट बुक्स के पाठ्यक्रम के साथ इस नवीन पद्धति को नहीं अपना सकते हैं. राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के लिए हल्के फुल्के क्रेस कोर्स बनाए जाए जो अल्प समय में सीखे जा सकते हैं. कोचिंग संस्थान भी निरंतर दस और बारह घंटों की भारी भरकम क्लास लेने की बजाय बच्चों की सेहत का ख्याल करते हुए कम समय में आकर्षक फीचर के साथ अध्यापन की व्यवस्था कराएं तो इस तकनीक आधारित शिक्षण से अधिकतम लाभ लिया जा सकता हैं.
सुपर सर जी
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