Sunday, 13 July 2025

उत्तराखंड: पंचायत चुनाव-हाईकोर्ट के स्टे के बाद आयोग ने दाखिल किया स्पष्टीकरण



देहरादून। प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में शहरी और पंचायत इलाके के मतदाताओं के चुनाव लड़ने सम्बन्धी मामले को लेकर हाईकोर्ट में अब 14 जुलाई को सुनवाई होगी।

इस सुनवाई पर कोई अन्य फैसला आने तक 14 जुलाई की दोपहर 2 बजे तक प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न नहीं आवंटित किया जाएगा। इस बाबत दायर याचिका पर हाईकोर्ट राज्य निर्वाचन आयोग के 6 जुलाई के आदेश पर रोक लगा चुका है। इस स्टे के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने एक स्पष्टीकरण प्रार्थना पत्र हाईकोर्ट में दाखिल किया है। इसी प्रार्थना पत्र पर हाईकोर्ट 14 जुलाई की सुबह सुनवाई करेगा। यह जानकारी राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने दी।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न दिए जाएंगे। पंचायत चुनाव में दो-दो निर्वाचक नामावलियों में दर्ज व्यक्ति के चुनाव लड़ने को लेकर अभी भी असमंजस बना हुआ है। हालांकि, पंचायतों के हजारों पदों पर नामांकन भी हो चुके हैं। और 11 जुलाई को नाम वापसी की आखिरी तारीख भी बीत चुकी है। 24 व 28 जुलाई को मतदान होगा।

बहरहाल, राज्य निर्वाचन आयोग के 27 जून के आदेश के बाद भ्रम की नाजुक स्थिति बनी। इस आदेश में आयोग के सचिव राहुल गोयल ने कांग्रेस के शिकायती पत्र का संज्ञान लेते हुए कहा कि शहरी निकाय का मतदाता अगर पंचायत का चुनाव लड़ता है तो उस नामांकन पत्र को रद्द किया जाय।

इस पर हो हल्ला मचने के बाद आयोग की ओर से 6 जुलाई को नया आदेश आया। इस आदेश में शहरी निकाय के मतदाता के पंचायत चुनाव लड़ने को हरी झंडी दी गयी। फिर शोर मचा तो 9 जुलाई को आयोग का एक ओर आदेश सामने आया।

इस आदेश में कहा गया कि पंचायती राज एक्ट के तहत चुनाव कराए जा रहे हैं। और अफवाह व भ्रम से दूर रहने की अपील की गई। इधऱ 6 जुलाई के राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश के खिलाफ शक्ति सिंह बर्त्वाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की।

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 6 जुलाई के आदेश पर रोक लगा दी। इस मामले में अब 14 जुलाई को असमंजस दूर होने की उम्मीद है। हालांकि, शहरी क्षेत्र के मतदाताओं के पंचायत चुनाव में दाखिल नामांकन के बाबत राज्य निर्वाचन आयोग कब फैसला लेगा। यह भी अहम सवाल हैं।

प्रमुख दलों के अलावा कई शहरी क्षेत्रों के मतदाताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भी भरा है। हालांकि, जांच में काफी नामांकन पत्र भी खारिज हुए हैं। लेकिन इनके आधार अलग अलग बताए जा रहे हैं। बहरहाल, तय समय से काफी देर से हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव के दो अहम आदेशों के बाद बिवादों में घिर गए हैं। इस पूरे मामले में जो किरकिरी हुई, वह अलग है।

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