देहरादून। उत्तराखण्ड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के अन्तर्गत कार्मिकों के स्थानांतरण के सम्बन्ध में शासन ने नए निर्देश जारी किए हैं।
अपर सचिव ललित मोहन रयाल की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि पात्रता सूची में आने वाले कार्मिकों के स्थानांतरण की अधिकतम सीमा को समाप्त करते हुए विभागों द्वारा वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के आलोक में स्थानान्तरण की कार्यवाही की जा सकेगी।
1. वर्तमान स्थानांतरण सत्र. 2025-26 हेतु विभागान्तर्गत प्रत्येक संवर्ग में अनिवार्य स्थानांतरण के अंतर्गत पात्रता सूची में आने वाले कार्मिकों के स्थानांतरण की अधिकतम सीमा को समाप्त करते हुए विभागों द्वारा वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के आलोक में स्थानान्तरण की कार्यवाही की जा सकेगी।
2. दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में उतनी संख्या में ही स्थानांतरण किये जायेंगे, जितने सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में होंगे। स्थानान्तरण किये जाने से पूर्व प्रतिस्थानी की व्यवस्था सुनिश्चित हो जाने के उपरान्त ही सम्बन्धित कार्मिक के स्थानान्तरण आदेश निर्गत किये जायेंगे और दुर्गम क्षेत्र से स्थानांतरित कार्मिक को तभी कार्यमुक्त किया जायेगा, जब उसका प्रतिस्थानी कार्यभार ग्रहण करने हेतु कार्यस्थल पर उपस्थित हो जाये, ताकि दुर्गम एवं सुगम क्षेत्रों में कार्मिकों की संख्या में परस्पर संतुलन बना रहे।
3. एकल अभिभावक (विधवा / विधुर) एवं शहीदों / बलिदानियों की विधवाओं को अनिवार्य स्थानांतरण/पदोन्नति के फलस्वरूप दुर्गम क्षेत्र में तैनाती से छूट प्रदान की जायेगी।
4. दाम्पत्य नीति की श्रेणी में आने वाले कार्मिकों का स्थानांतरण करते समय वरिष्ठता / वेतनमान, दुर्गम में की गई सेवा एवं रिक्ति की उपलब्धता का भी ध्यान रखा जायेगा।
5. अनुरोध के आधार पर किये गये स्थानान्तरणों हेतु स्थानान्तरण भत्ता देय नहीं होगा।
देखें, तबादला सम्बन्धी निर्णय
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