देहरादून। डोईवाला टोल प्लाजा में बेकाबू ट्रक ने दो लोगों की जान ले ली। सोमवार की सुबह 8 बजे हुए इस हादसे में जिला न्यायालय नई टिहरी में कार्यरत पंकज पंवार,पेशकार और रतनमणि उनियाल, प्रशासनिक अधिकारी, की दुखद मृत्यु हो गई।
पंवार थान गांव जौनपुर टिहरी, उनियाल चन्द्रबदनी टिहरी के मूल निवासी थे। उनका हाल निवास देहरादून रिंग रोड छह नम्बर पुलिया (अब महाराजा प्रद्युम्न शाह चौक) के आसपास था।
यह हादसा उस समय हुआ जब दोनों कर्मचारी अपनी कार में रविवार की छुट्टी के बाद घर देहरादून से नई टिहरी लौट रहे थे । लगभग सुबह पौने 8 बजे के करीब, जब वे टोल प्लाजा डोईवाला में अनुशासन के साथ चल रहे थे, तब पीछे से आया डम्फर/ ट्रक उन्हें ठोकते हुए आगे बढ़ गया। दर्दनाक बात यह है कि इस दुर्घटना के कारण दोनों की बॉडी को काटकर बाहर निकाला गया।
सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि एक ट्रक/ डम्फर, बगैर ब्रेक लगाए, तेजी से दो लोगों की लाल कार को टक्कर मारता है। और यह कार टोल प्लाजा के विशाल लोहे के ख़म्बे में चकनाचूर हो जाती है।
आजकल, सड़क पर चलते समय किसी भी व्यक्ति के लिए अपने जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक चुनौती बन गया है। सड़क पर मौत का मंजर वास्तव में चिंताजनक है। जहाँ किसी की भी गाड़ी अचानक ही बेकाबू ट्रक/ डम्फर से टकरा सकती है। इसे देखने वाले लोग सिर्फ भीषण दृश्य के गवाह बनते हैं, लेकिन वे इस भयावहता को रोकने में असमर्थ रहते हैं।
आज, सोमवार पौने आठ बजे सुबह देहरादून के डोईवाला टोल प्लाजा में हुई एक दुर्घटना ने न केवल दो मूल्यवान जीवन छीन लिए, बल्कि सड़क सुरक्षा के मसले पर गंभीर चिंताएं भी उत्पन्न की हैं।
जो घटना की भयावहता को दर्शाता है। सड़क सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। यह प्रश्न उठता है कि क्या ट्रक/ डम्फर की तकनीकी जांच की गई थी? क्या जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ट्रक के रखरखाव पर ध्यान दिया गया था? यदि ट्रक का ब्रेक काम नहीं कर रहा था, तो उसे सड़क पर चलने की अनुमति कैसे दी गई थी? यह स्पष्ट है कि सड़क सुरक्षा नियमों का पालन नहीं होने के कारण ही यह भीषण दुर्घटना हुई है।
घटना के बाद, टोल प्लाजा में अफरा-तफरी मच गई, और सवाल उठने लगे कि आखिर सड़क पर ऐसी लापरवाही का जिम्मेदार कौन है? मृतकों के परिवारों में कोहराम मच गया है, और लोगों ने ट्रक ड्राइवर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। कुछ लोग तो उसकी फांसी की भी मांग कर रहे हैं, यह बताते हुए कि ऐसी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इस दुर्घटना से यह बात साफ होती है कि सड़क पर चलने वाले सभी वाहनों की सुरक्षा और तकनीकी जांच एक अनिवार्य आवश्यकता है।
ट्रक ड्राइवर की लापरवाही के कारण न केवल दो परिवारों का सुख-शांति छिन गया बल्कि समाज को भी एक गहरा आघात पहुंचा। जब तक हम सड़क सुरक्षा के प्रति सजग नहीं होंगे, ऐसी दुखद घटनाएं हमारी सामूहिक जिम्मेदारी बनकर सामने आती रहेंगी। इसलिए, हमें इस दिशा में सार्थक कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी हृदय विदारक घटनाओं को रोका जा सके।
यह घटना केवल एक उदाहरण है जो सड़क सुरक्षा की खामियों को उजागर करता है। बेकाबू ट्रकों और डम्फरों का दौड़ना सड़क पर मौजूद अन्य वाहनों के लिए एक बड़ा डर बन चुका है। राज्य और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे इन मुद्दों पर ध्यान दें और ठोस कदम उठाएँ। बेहतर ट्रैफिक प्रबंधन, कठोर नियमों का पालन, और जनता में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। यदि हम केवल घटनाओं को देखने पर निर्भर रहेंगे तो नुकसान और बढ़ेगा, इसलिए हमें अपने आसपास के माहौल में सक्रिय रहकर बदलाव लाने का प्रयास करना होगा।
सड़कों पर हो रही इन घटनाओं को रोकने के लिए हमें एक संगठित प्रयास की आवश्यकता है। समाज के प्रत्येक सदस्य को सड़क सुरक्षा के महत्व को समझना होगा और अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। जब तक हम यह मानसिकता नहीं बनाएँगे, तब तक सड़कें खतरनाक बनी रहेंगी और मानव जीवन का नुकसान होता रहेगा।
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