रुद्रप्रयाग: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने शिक्षा विभाग में कार्यरत एक शिक्षक को फर्जी बीएड डिग्री मामले में पांच साल की सश्रम कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है।
दोषी शिक्षक को न्यायिक हिरासत में पुरसाड़ी जेल भेज दिया गया।
अभियोजक प्रमोद चंद्र आर्य और विनीत उपाध्याय ने मामले में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया था। रुद्रप्रयाग जिले के रहने वाले राम प्रसाद के बेटे अरविंद कुमार को उनकी फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति दे दी गई। शिक्षा विभाग की एसआईटी और विभागीय जांच के अनुसार उक्त शिक्षक की बीएड डिग्री की पुष्टि हो चुकी है और शिक्षा विभाग को डिग्री के संबंध में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से जांच रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। उक्त शिक्षक की फर्जी डिग्री की विश्वविद्यालय द्वारा पुष्टि जारी की गई है कहा गया है कि शिक्षक द्वारा कोई बैचलर ऑफ एजुकेशन की डिग्री वहां से नहीं ली गई।
शासन स्तर पर हुई एसआईटी जांच
इसके बाद शासन स्तर पर एसआईटी जांच की गई जिसके बाद रुद्रप्रयाग शिक्षा विभाग ने संबंधित शिक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। फर्जी शिक्षक को तत्काल निलंबित कर बर्खास्त कर दिया गया। अब तक मामला मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है। मुख्य न्यायाधीश अशोक कुमार सैनी की पीठ ने मंगलवार को शिक्षक अरविंद कुमार को 2002 में फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर नौकरी पर रखने का दोषी पाया और उन्हें भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 420 के तहत पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। 10,000 रुपये जुर्माने अगर वह नहीं भर पाया तो उसे तीन महीने की अतिरिक्त जेल की सजा भी दी जाएगी। दोषी शिक्षक को न्यायिक हिरासत में पुरसाड़ी जेल भेज दिया गया। अभियोजक प्रमोद चंद्र आर्य और विनीत उपाध्याय ने इस मामले में राज्य सरकार को प्रभावी प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया।
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