शासन ने जसपुर उधमसिंह नगर की बाल विकास परियोजना अधिकारी लक्ष्मी टम्टा को बर्खास्त करने के आदेश जारी किए है आरोप है की लक्ष्मी टम्टा ने अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर पाई थी नौकरी।
विभिन्न स्तरों से हुई जांच के आधार में हुई थी आरोपों की पुष्टि,जाती से थी पंत यानी ब्राह्मण लेकिन पति की जाति टम्टा के आधार पर बनाया था दूसरा प्रमाण पत्र,अब इनसे रिकवरी और अपराधिक धारा में मुकदमा भी हो सकता है दर्ज।निदेशक हरि चंद सेमवाल ने जारी किया आदेश मामला हाईकोर्ट में भी गया था जिसके बाद लिया गया है फैसला।
फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी पाने और फिर प्रमोशन से आलाधिकारी पद तक पहुची महिला को शासन ने बर्खास्त कर दिया।
मामला बाल विकास विभाग का है। बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर तैनात लक्ष्मी टम्टा को शासन ने बर्खास्त कर दिया है। उन पर अनुसूचित जाति का फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने का आरोप है। कई स्तरों पर हुई जांच के बाद ये स्पष्ट हुआ कि उक्त अधिकारी विवाह से पूर्व लक्ष्मी पंत थी। विवाह के बाद उसने अपने नाम के साथ लक्ष्मी टम्टा लिखा। इसके आधार पर जाति प्रमाण पत्र बना और लक्ष्मी सरकारी नौकरी पाने में सफल रही। विभिन्न स्तरों पर हुई जांच मे ये बात सामने आई कि लक्ष्मी अनारक्षित वर्ग से आती है। ऐसे में अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र फर्जी है।
आपको बता दें कि अप्रैल 2023 तक वे अपनी नौकरी के 31 वर्ष पूर्ण कर चुकी हैं। इसी 31 जुलाई को उनका रिटायरमेंट भी था। सीडीपीओ का मूल निवास अल्मोड़ा के दन्यां गांव में होने से सीडीओ ऊधम सिंह नगर द्वारा कई पत्र भेजने के बाद भी जांच में सहयोग नहीं मिला। तब निर्देशक ने सीधे जिलाधिकारी अल्मोड़ा को निर्देशित कर मामले की जांच करने को कहा। और फिर अल्मोड़ा के जिलाधिकारी की जांच में मामला पूरी तरह उजागर हो गया। लेकिन अधिकारियों की इस पत्राचार कार्रवाई में 7 साल लग गए।
अब देखना है कि प्रशासन इस मामले में आगे क्या कार्रवाई करता है। क्या प्रशासन पिछले 31 वर्षों में लक्ष्मी पंत / टम्टा को दी गई सेलरी व अन्य भत्तों की वसूली कर कोई सजा दिला पायेगा या अपनी नौकरी के बचे महज 3 दिन पहले बर्खास्त करने की कार्रवाई करके ही इतिश्री कर लेगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है।
No comments:
Post a Comment