Sunday 10 April 2022

बड़ी खबर: कर्ज के बोझ तले दबता उत्तराखंड , विकास कैसे पकड़ेगा रफ्तार..पढ़िए रिपोर्ट


 उत्तराखंड। सरकार के बड़े बड़े दावे और उन दावों के बीच लाखों करोड़ के बजट का अनुमान लेकिन क्या आपको पता है कि राज्य सरकार कितने क़र्ज़ में डूबी हुई है। पांचवें राज्य वित्त आयोग ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश सरकार की वित्तीय स्थिति का जो अनुमान लगाया है, वह राज्य के नीति नियामकों के लिए चौकस रहने का एक संकेत है।उत्तराखंड राज्य पर अगले तीन साल में कर्ज का बोझ बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच जाएगा। 

विकास की रफ्तार के लिए लेना होगा कर्ज़

बता दें कि कर्मचारियों को वेतन और पेंशन पर खर्च के साथ विकास की रफ्तार को बनाए रखने के लिए कर्ज लेना आने वाले वर्षों में भी प्रदेश सरकार की मजबूरी रहेगी। कर्ज के दबाव को कम करने के लिए सरकार के सामने एक ही विकल्प है कि वह आय के दूसरे साधनों पर काम करे और खुद के संसाधनों से आय बढ़ाए। साथ ही केंद्र सरकार से ज्यादा से ज्यादा अनुदान हासिल करने के लिए प्रयास करने होंगे।

जरूरतों के लिए लेना होगा और कर्ज़

राज्य सरकार के ही बजट दस्तावेजों से रिपोर्ट में किए गया विश्लेषण बताता है कि 2021-22 तक राज्य सरकार पर 73,477.72 करोड़ रुपये का कर्ज था। अगले पांच वर्ष में अनुमान है कि राज्य सरकार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 54,496 करोड़ रुपये का और कर्ज ले सकती है।

प्रति वर्ष 8982 करोड़ से 12994 करोड़ कर्ज का अनुमान

रिपोर्ट बताती है कि जीएसटी से अगले पांच साल में करीब 6720 करोड़ रुपये से 10574 करोड़ रुपये तक राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। जबकि इस अवधि में कर्ज का अनुमान प्रति वर्ष 8982 करोड़ से लेकर 12994 करोड़ रुपये है। यानी उत्तराखंड पर आने वाले तीन साल में ही एक लाख करोड़ के पार कर्ज हो जाएगा

50 फीसदी वेतन और पेंशन पर खर्च

राज्य सरकार के कुल बजट का 50 फीसदी वेतन और पेंशन पर खर्च हो रहा है। वर्ष 2016-17 तक इस खर्च का अनुपात राजस्व व्यय का 50 प्रतिशत था, जो सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद 55 फीसदी तक हो गया। 2022-23 के बजट में 54.83 फीसदी तक का अनुमान है। इस वित्तीय वर्ष में 21,867 करोड़ रुपये वेतन एवं पेंशन पर खर्च का अनुमान है।

केंद्र सरकार से अनुदान को करने होंगे प्रयास

आर्थिक मामलों के जानकारों बताते हैं कि राज्य सरकार को अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आय में बढ़ोतरी करनी होगी। सरकार को उन क्षेत्रों का चुनाव करना होगा, जहां से सरकार को अधिक आय प्राप्त हो सकती है। इसके अलावा केंद्र सरकार से ज्यादा से ज्यादा अनुदान हासिल करने के लिए सरकार को समयबद्ध, रणनीतिक और लगातार प्रयास करने होंगे।

Source - https://www.khabardevbhoomi.com/

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