राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अंतर्गत प्रारंभिक शिक्षा के लिए तैयार किए जा रहे पाठ्यक्रम में विशेषज्ञों के सुझावों को महत्व दिया जाएगा। शिक्षा विभाग ने ऐसे व्यक्तियों से 10 मई तक सुझाव मांगे हैं। प्रदेश सरकार एनईपी के क्रियान्वयन में तेजी से जुटी हुई है।
प्रारंभिक शिक्षा स्तर पर प्री-प्राइमरी व्यवस्था लागू की जा रही है। प्राथमिक विद्यालयों में चल रहे पांच हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में प्री प्राइमरी के रूप में बाल वाटिका शुरू की जाएंगी।
इस कड़ी में प्रारंभिक बाल्य देखभाल एवं शिक्षा (बालवाटिका) पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। दरअसल, बालवाटिका के पाठ्यक्रम को लेकर एनईपी में गाइडलाइन जारी की गई है। इसमें राज्य की विशेष परिस्थितियों के अनुसार पाठ््यक्रम को तैयार किया जाना है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण हस्तपुस्तिका का ड्राफ्ट तैयार
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने इसी परिप्रेक्ष्य में प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में दक्षता रखने वालों और विशेषज्ञों से सुझाव मांगे हुए हैं। विशेषज्ञों को अधिकतम 300 शब्दों में सुझाव देने को कहा गया है। इन्हें एससीईआरटी में गठित एनईपी प्रकोष्ठ एकत्र कर रहा है।
सुझाव को ई-मेल के माध्यम से देने का विकल्प भी दिया गया है। एससीईआरटी ने इसके अतिरिक्त बालवाटिका आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता के प्रशिक्षण को भी हस्तपुस्तिका का ड्राफ्ट तैयार किया है। विशेषज्ञों से इस हस्तपुस्तिका के बारे में सुझाव देने को कहा गया है।
दरअसल, प्री-प्राइमरी स्तर पर बाल मनोविज्ञान पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है। सरकार इस मामले में कोताही नहीं बरतना चाहती। एनईपी के माध्यम से ऐसा पहली बार हो रहा है कि प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में पहली बार प्री-प्राइमरी कक्षाएं संचालित होंगी।
आगामी जुलाई से लागू होगा पाठ्यक्रम
प्रारंभिक दौर में इन्हें करीब पांच हजार प्राथमिक विद्यालयों में संचालित किया जाएगा। बाद में प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में शुरू करने की योजना है। यह कार्य 2026 तक पूरा किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने बताया कि एनईपी के अंतर्गत प्रारंभिक स्तर पर पाठ्यक्रम तैयार करने में पूरी सावधानी बरती जा रही है। आगामी जुलाई माह से इसे क्रियान्वित करने की दिशा में काम किया जा रहा है।
Source -https://www.jagran.com/
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